RSCIT Book Lesson- 3.
 (Exploring Your Computer "अपने कंप्यूटर को जाने") 



ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) :

ऑपरेटिंग सिस्टम को हम सिस्टम सॉफ्टवेयर के नाम से भी जानते हैं। और यह हमारे कंप्यूटर को कार्य करने योग्य बनाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा हार्डवेयर सॉफ्टवेयर आदि को कंट्रोल किया जाता है। और दोस्तों ऑपरेटिंग सिस्टम के बिना हमारा कंप्यूटर नहीं चलता है। 



कंप्यूटर के साथ-साथ ऑपरेटिंग सिस्टम और भी बहुत सारी डिवाइसों के लिए जरूरी होता है। जैसेकंप्यूटर, मोबाइल डिवाइस, वीडियो गेम, सुपर कंप्यूटर आदि।
कुछ कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण - Microsoft Windows, Mac OS, Linux, Unix etc.
कुछ मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण - Android, Window, IOS, Symbian etc.



कंप्यूटर सिस्टम की संरचना को तीन लेयर में बांटा गया है -



 1. हार्डवेयर - इसके बारे में हम पहले भी बात कर चुके हैं अर्थात लेसन नंबर 2 में हार्डवेयर के अंदर इनपुट और आउटपुट डिवाइस होती है। अगर आपने उस लेसन के नोट्स नहीं पढ़ें तो उनको जरूर पढ़ें। 

2. सिस्टम सॉफ्टवेयर - यह हमारे कंप्यूटर सिस्टम को मैनेज करता हैं। इसे बैकग्राउंड सॉफ्टवेयर के नाम से भी जानते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम सिस्टम सॉफ्टवेयर का ही हिस्सा होता हैं। 

3. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर - यह ऐसे प्रोग्राम होते हैं। जिनके द्वारा उपयोग करता जी. यू. आई. के साथ आसानी से कार्य कर सकता है। जी. यू. आई. का पूरा नामग्राफिकल यूजर इंटरफेस होती है। अर्थात इन प्रोग्रामओं में ग्राफिक्स, जैसे- इमेज आदि का उपयोग किया जाता हैं। जिसके कारण यूज़र इनको आसानी से समझता है। 


 ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्य निम्न  है :

रिसोर्स मैनेजमेंट (Resource management) - 

अर्थात ऑपरेटिंग सिस्टम मेमोरी को मैनेजमेंट करता है। प्रोसेसर को मैनेजमेंट करता है। डिवाइस को मैनेजमेंट करता है। इसी के साथ-साथ कुछ बेसिक कार्य जो होते हैं। उनको भी मैनेज करता है। जैसे कि कंप्यूटर के अंदर कोई Error है तो उसको ढूंढता है और उसका हल निकालता है। इसी के साथ सिक्योरिटी और प्रोटेक्शन हमें प्रदान करता है। 

एप्लीकेशन और यूजर के बीच इंटरफेस -

ऑपरेटिंग सिस्टम एक उपयोगकर्ता के लिए इंटरफेस की तरह कार्य करता है। 


प्रोग्राम क्रियान्वयन (Program Execution) - 

ऑपरेटिंग सिस्टम, एप्लिकेशन प्रोग्राम और मशीन हार्डवेयर के बीच इंटरफ़ेस की तरह कार्य करता हैं।  



 ग्राफिकल यूज़र इंटरफ़ेस (Graphical User Interface) :

कंप्यूटर दो प्रकार के इंटरफेस के साथ काम करता है-
A. ग्राफिकल यूजर इंटरफेस 
B. कमांड लाइन इंटरफेस 

A. ग्राफिकल यूजर इंटरफेसग्राफिकल यूजर इंटरफेस के अंदर पिक्चर्स, आईकॉन वगैरह का उपयोग किया जाता है।  ग्राफिकल यूजर इंटरफेस के उदाहरण - Microsoft Windows, Mac OS, Linux, etc.

B. कमांड लाइन इंटरफेसकमांड लाइन इंटरफेस के अंदर ओनली टेक्स्ट यानी कि कमांड्स का उपयोग किया जाता है। कमांड लाइन इंटरफेस के उदाहरण - MS-Dos, Unix etc.


ग्राफिकल यूजर इंटरफेस के लाभ -

ग्राफिकल यूजर इंटरफेस के साथ हम कंप्यूटर को आसानी से ऑपरेट कर सकते हैं। और कंप्यूटर सीखने में हमें आसानी होती है। और ग्राफिकल यूजर इंटरफेस के अंदर अलर्ट, माउस मूवमेंट्सडबल क्लिक अगर होते हैं तो हमें तुरंत पता चलता रहता है। और यह गलतियों को भी जल्दी से डिटेक्ट करता है। इसके साथ काम करना बहुत ही आसान होता है। और अगर आपने एक बार ग्राफिकल यूजर इंटरफेस को सीख लिया तो उसके बाद में आपको दूसरे ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ काम करना आसान हो जाता है। जैसे मैक ओएस 




ग्राफिकल यूजर इंटरफेस की हानि -

ग्राफिकल यूजर इंटरफेस को अधिक मेमोरी की आवश्यकता होती है। ताकि इमेज इत्यादि डिस्पले करने में देरी ना हो। कुछ दिव्यांगों (जैसे दृष्टि बाधित आदि) को ग्राफिकल यूजर इंटरफेस के साथ काम करना कठिन होता है। इन्हें काफी दिक्कतें महसूस होती हैं।


विंडोज 10 (Windows 10) :

माइक्रोसॉफ्ट के कुछ विंडोज वर्जन - MS-Dos, Windows 95, Windows NT, Windows 98, Windows ME, Windows XP, Windows Vista, Windows 7, Windows 8, Windows 8.1, Windows 10 (यह 29 जुलाई 2015 को रिलीज हुआ था). 
  


 विंडोज 10 इंटरफ़ेस को समझना

1. कंप्यूटर को बूट करना :

कंप्यूटर को स्टार्ट करना और बंद करने की प्रक्रिया बूटिंग कहलाती है। 

बूटिंग दो प्रकार की होती है-
वार्म बूटिंगकंप्यूटर को रीस्टार्ट करना वार्म बूटिंग कहलाता है। 
कोल्ड बूटिंगकंप्यूटर को स्टार्ट करना कोल्ड बूटिंग कहलाता है। 

2. डेस्कटॉप एरिया :
जब कंप्यूटर स्टार्ट किया जाता है। और कंप्यूटर के अंदर लॉगइन होने के बाद में जो सबसे पहले स्क्रीन हमारे सामने होती है। उसे डेस्कटॉप कहा जाता है डेस्कटॉप के अंदर स्टार्ट मैन्यू अर्थात स्टार्ट बटन, टास्कबार, वॉलपेपर और आइकंस नजर आते हैं। और इसे आप अपने हिसाब से मैनेज भी कर सकते हो। 
जैसे- डेस्कटॉप का वॉलपेपर चेंज करना, प्रोग्राम को टास्कबार में पिन करना इत्यादि। 


3. टास्कबार :
डेस्कटॉप में सबसे नीचे एक पट्टी होती है। जिसे टास्कबार के नाम से जाना जाता है। इसमें लेफ्ट साइड में स्टार्ट मैन्यू अर्थात स्टार्ट बटन और बिल्कुल राइट साइड में टाइम और कुछ सिस्टम आइकन दिए होते हैं। और जब भी आप कोई प्रोग्राम कंप्यूटर में चलाते हो तो टास्कबार पर उस प्रोग्राम का आइकॉन आपको नजर आएगा। इसके साथ-साथ आप टास्कबार को माउस से ड्रैग करके लेफ्ट, राइट, अप, डाउन में भी सेट कर सकते हो। 




4. आइकॉन :
कंप्यूटर में चलने वाले सभी प्रोग्राम्स के आइकॉन होते हैं। और इन आइकंस पर डबल क्लिक करके आप आसानी से उस प्रोग्राम को ओपन कर सकते हैं या शुरू कर सकते हैं जिसका यह आइकॉन होता है। 


5. सिस्टम ट्रे :
यह टास्कबार के अंदर होती है। टास्कबार में बिल्कुल राइट साइड में जहां पर टाइम शो होता है उसके जस्ट लेफ्ट में, सिस्टम ट्रे होती है। इसके अंदर छोटे-छोटे आईकॉन शो होते हैं जिन्हें आप आसानी से लॉन्च कर सकते हो। 
जैसे स्पीकर वॉल्यूम, वाईफाई, बैटरी स्टेटस आदि। 



6. क्विक लॉन्च आइकन :
यह आइकन किसी प्रोग्राम को जल्दी एक्सेस करने के लिए होते हैं। यह आपको टास्कबार, सिस्टम ट्रे इत्यादि में मिल जाएंगे। 

7. शॉर्टकट आईकॉन :
हम किसी भी प्रोग्राम का शॉर्टकट आईकॉन बना सकते हैं। ताकि हम कहीं से उसमें इन प्रोग्राम को डायरेक्ट लॉन्च कर सकें। शॉर्टकट आईकॉन बनाने के लिए आपको किसी प्रोग्राम के आइकन पर राइट क्लिक करना है और क्रिएट शॉर्टकट ऑप्शन सेलेक्ट करनी है।  



8. स्टार्ट मैन्यू
विंडोज 8, विंडोज 8.1 इसके अंदर स्टार्ट मैन्यू नहीं था पर विंडोज 10 में स्टार्ट मैन्यू लाया गया इससे पहले विंडो 7, विंडो XP में स्टार्ट मैन्यू था। और स्टार्ट मैन्यू टास्कबार पर बिल्कुल लेफ्ट साइड में होता है और इसे लॉन्च करने के लिए कीबोर्ड पर भी एक Key होती है। जिसका नाम होता है- Windows Key. इस Key को प्रेस करके आप स्टार्ट मैन्यू को लॉन्च कर सकते हैं। इसके अंदर वह सारे प्रोग्राम होते हैं जो कंप्यूटर को कंट्रोल करते हैं। 

9. मल्टीपल डेस्कटॉप :
अगर आपके पास एक कंप्यूटर है और आप उसी को ही घर पर और ऑफिस में यूज करते हैं तो मल्टीपल डेस्कटॉप आपके लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है। क्योंकि दोस्तों इसके अंदर हम बहुत सारे डेस्कटॉप बना सकते हैं। जैसे कि, होम के लिए अलग और ऑफिस के लिए अलग और बहुत सारे डेस्कटॉप के बीच स्विच करना भी आसान होता है। 

10. माइक्रोसॉफ्ट एज :
विंडोज 10 में इंटरनेट एक्सप्लोरर को माइक्रोसॉफ्ट एज ब्राउज़र के द्वारा रिप्लेस किया गया है। माइक्रोसॉफ्ट एज ऐसा पहला ब्राउज़र है जिसके माध्यम से हम सीधे ही वेब पेज पर नोट लिख सकते हैं। पेज पर हाईलाइट कर सकते हैं। किसी आर्टिकल को ऑफलाइन पढ़ने के लिए सेव कर सकते हैं। 



11. विंडोज स्टोर :
इसके माध्यम से आप विंडो 10 में गेम्स और एप्स डाउनलोड कर सकते हो जैसे कि हम स्मार्टफोन आदि में करते हैं बिल्कुल उसी तरह। 

 12. कोरटाना :
विंडोज 10 में यह एक पर्सनल असिस्टेंट है इसे सर्च बॉक्स की तरह इस्तेमाल किया जाता है।


 विंडोज 10 बेसिक /एप्लीकेशन यूटिलिटीज :


Windows 10 के साथ कुछ बेसिक /एप्लीकेशन यूटिलिटी आती हैं। -जो कि इसके अंदर इनबिल्ट ही होती हैं। कुछ बेसिक यूटिलिटीज कंप्यूटर डाटा को मैनेज करती है, रिपेयर करती है, और ऑप्टिमाइज करती हैं।

आप इन बेसिक /एप्लीकेशन यूटिलिटी को डेस्कटॉप पर दिए हुए सर्च बॉक्स से सर्च कर सकते हैं।





चलिए अब हम कुछ बेसिक एप्लीकेशन यूटिलिटीज के बारे में जानते हैं -


केलकुलेटरइसका उपयोग मुख्यतः जोड़, घटाव, गुणा, भाग करने में किया जाता है।



 मैथ इनपुट पैनलइसका उपयोग मैथमेटिक्स प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए किया जाता है। यहां पर आप अपने हाथ से मैथ के कुछ फंक्शन वगैरा लिख सकते हो और इनको वर्ड प्रोसेसिंग में इंप्लीमेंट भी कर सकते हैं।



 स्निपिंग टूलइसका इस्तेमाल मॉनिटर स्क्रीन पर किसी ऑब्जेक्ट का स्क्रीनशॉट कैप्चर करने के लिए किया जाता है। और इस स्क्रीन शॉट को हम सेव करके किसी के साथ सांझा भी कर सकते हैं।



 विंडोज मोबिलिटी सेंटरइसके माध्यम से आप वायरलेस नेटवर्क कनेक्शन स्टेटस, डिस्प्ले और ब्राइटनेस स्पीकर वॉल्यूम आदि को एक ही स्थान पर मैनेज कर सकते हो। इसके कारण हमारा समय भी बच जाता है।



विंडो मोबिलिटी सेंटर में सबसे ज्यादा उपयोग में ली जाने वाली ऑप्शंस -



 ब्राइटनेस - ब्राइटनेस के माध्यम से आप कंप्यूटर की चमक जो होती है। उसे बड़ी ही आसानी से मैनेज कर सकते हैं।

वॉल्यूमयहां पर आप कंप्यूटर स्पीकर के वॉल्यूम को कंट्रोल कर सकते हैं। बड़ी ही आसानी से।



बैटरी स्टेटसअगर आप लैपटॉप का यूज करते हैं तो यहां पर आपको बैटरी कितने परसेंट चार्ज हो चुकी है, कितना टाइम और लेगी चार्ज होने में या फिर बैटरी कितने समय तक चलेगी। इसकी सारी इनफार्मेशन आपको यहां पर मिल जाएगी।

वायरलेस नेटवर्क - यहां पर आपको बताया जाएगा कि आपका कंप्यूटर वर्तमान में कौन से नेटवर्क के साथ कनेक्ट है।

स्क्रीन रोटेशनस्क्रीन रोटेशन इसके माध्यम से आप अपने कंप्यूटर मॉनिटर स्क्रीन को पोट्रेट लैंडस्केप और उल्टा-सीधा कर सकते हो।

 एक्सटर्नल डिस्पलेइसके माध्यम से आप अपने लैपटॉप या फिर कंप्यूटर को किसी अदर मॉनिटर के साथ जोड़ सकते हो।





 पेंटयह विंडोस के सभी वर्जन में आने वाला प्रोग्राम है। और दोस्तों इस के माध्यम से हम ड्रॉइंग कर सकते हैं। इसी के साथ पिक्चर को मैनेज भी कर सकते हैं। और अगर आप कंप्यूटर चलाते हो तो मेरे ख्याल से आपने यह प्रोग्राम एक बार जरूर चलाया होगा।


 सिस्टम टूलसिस्टम टूल के माध्यम से आप डिस्क पर उपस्थित अनावश्यक फाइलों को डिलीट कर सकते हो इसके अंदर डिस्क को फ्रेग्मेंट करना, सिस्टम की दक्षता को बढ़ाना, डिस्क डिप्रैगमेंटर और डिस्क क्लीनअप टूल होते हैं। जो कंप्यूटर परफॉर्मेंस को अच्छा बनाते हैं।



ये थी विंडोज बेसिक /एप्लीकेशन यूटिलिटीज। 



 डायरेक्टरी स्ट्रक्चर / पाथ

एक फाइल या डॉक्यूमेंट डाटा का कलेक्शन होता है।

फ्लॉपी डिस्क, ज़िप डिस्क, कॉम्पैक्ट डिस्क, हार्ड डिस्क आदी फाइल को स्टोर कर सकते हैं।

विंडोज, फोल्डर और फाइल को Hierachy या फाइल सिस्टम में रखता है।

फोल्डर के अंदर फोल्डर को सब फोल्डर कहा जाता है। और फोल्डर का दूसरा नाम होता है -डायरेक्टरी अर्थात डायरेक्टरी के अंदर डायरेक्टरी, सब डायरेक्टरी कहलाती हैं।



 रीसाइकिल बीनअगर हम कंप्यूटर में से कुछ डिलीट कर देते हैं, तो वह डिलीट किया हुआ डाटा रिसाइकल बीन में जाकर स्टोर हो जाता है। और दोस्तों अगर हमें उस डाटा की आवश्यकता होती है, तो हम उस डाटा को रीसायकल बीन से रिस्टोर भी कर सकते हैं।





 एक अनुप्रयोग या एप्लीकेशन शुरू करना

यहां हम उन बेसिक एप्लीकेशन के बारे में बात करेंगे जो कि विंडो के साथ इन-बिल्ट आती हैं।



 वर्डपैडयह माइक्रोसॉफ्ट वर्ल्ड की तरह होता है। माइक्रोसॉफ्ट वर्ल्ड की अपेक्षा इसके अंदर बहुत ही कम फंक्शन दिए होते हैं। पर इसके अंदर काफी यूजफुल फंक्शन होते हैं।



माइक्रोसॉफ्ट पेंटयह एक ड्रॉइंग प्रोग्राम होता है। इसके माध्यम से हम पेंटिंग वगैरह बना सकते हैं और उनको अपने कंप्यूटर में सेव करके भी रख सकते हैं।



 टाइपिंग प्रैक्टिसटाइपिंग प्रैक्टिस के लिए हमने नोट्स की वीडियो में बताया हुआ है नोट्स की वीडियो का लिंक आपको बिल्कुल एंड में मिलेगा आप वहां से उसे अवश्य देखें।



 एंटीवायरस के द्वारा एक फाइल या फोल्डर स्कैन करना

Norton, QuickHeal, Avira, Kaspersky etc. कई एंटीवायरस वर्तमान में बाजार के अंदर उपलब्ध है। जो कि कंप्यूटर का वायरस से बचाव करते हैं। वैसे आपको बता दें एंटीवायरस जो होते हैं। वह हमारे डाटा को वायरस से सेफ रखने के लिए बनाए जाते हैं, और दोस्तों windows10 में एक एंटीवायरस दिया गया है जिसका नाम हैविंडोज डिफेंडर इसके माध्यम से हम अपने कंप्यूटर को आसानी से कर सकते हैं।