कम्प्यूटर की परिभाषा  - कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो दिए गए डेटा को इनपुट करके ,प्रोसेसिंग करके परिणाम को आउटपुट पर प्रदान कर देता  है 

कंप्यूटर एक सुचना प्रणाली का हिस्सा हैं।

सुचना प्रणाली पांच भाग हैं - Data, Hardware, Software, प्रोसीजर (Procedure), People.


डाटा (Data): इमेज, टेक्स्ट, वीडियो आदि डाटा होता हैं।
हार्डवेयर (Hardware): कंप्यूटर के वे भाग जिनको हम छू सकते हैं और देख भी सकते हैं। जैसे - मॉनिटर, कीबोर्ड, माउस, स्पीकर, प्रिंटर आदि।
सॉफ्टवेयर (Software): प्रोग्राम्स का समूह अथवा प्रोग्राम्स का दूसरा नाम सॉफ्टवेयर हैं। जैसे माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, पॉवरपॉइंट, एक्सेल आदि।
प्रोसीजर (Procedure): ये वे नियम या दिशा निर्देश होते हैं जिनको पढ़कर हम कंप्यूटर हार्डवेयर - सॉफ्टवेयर को आसानी से उपयोग कर सकते हैं। प्रोसीजर आमतौर पर कंप्यूटर विशेषज्ञों द्वारा लिखे जाते हैं।
लोग (People): कंप्यूटर के द्वारा हम बहतर सामान तैयार कर सकते हैं।



Input Device :- 

वे उपकरण जो डाटा को कंप्यूटर के अंदर ले जाने में हमारी मदद करते हैं इनपुट डिवाइस कहलाते हैं। जैसे - कीबोर्ड, माउस, स्केनर, मइक्रोफ़ोन आदि इनपुट डिवाइस के उदाहरण हैं।
चलिए हम कुछ इनपुट डिवाइस के बारे में बात करते हैं -


1. कीबोर्ड (Keyboard) : -

यह एक इनपुट डिवाइस हैं। और इसमें लगी Keys को हिंदी में कुंजियाँ कहा जाता हैं। 





 इसका प्रयोग कम्प्यूटर मे टाइपिंग लिए किया जाता हैयह एक इनपुट डिवाइस है हम केवल की-बोर्ड के माध्यम से भी कम्‍प्‍यूटर को आपरेट कर सकते है।

कंप्यूटर कीबोर्ड में-
F1 से F12 तक Function Keys होती हैं। इसके आलावा
!, @, #, $, %, *, ?, :, ", आदि Symbol keys होती हैं।
A to Z : Alphabet Keys.
1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, आदि को Numerical keys कहा जाता हैं।
Num Lock, Caps Lock, Scroll Lock ये तीनो Keys किसी विशेष फीचर को On/Off करने में काम आती हैं इनको Toggle (टॉगल) Keys के नाम से जाना जाता हैं।
Ctrl, Alt Keys को Combination keys के नाम से जाना जाता हैं। क्योंकि इनका उपयोग दूसरी keys के साथ होता हैं। इसलिए इनको कॉम्बिनेशन कीज के नाम से जानते हैं।
इसके आलावा बहुत सारी कुंजियाँ कीबोर्ड में मौजूद होती हैं।
Navigation Keys- Arrow Keys को बोलते हैं। ये चार होती हैं। (←,↑,→,↓)




की-बोर्ड क्‍या है :-what is keyboard in computer
की-बोर्ड टाइपराटर जैसा उपकरण होता है जिसमें कम्प्यूटर में सूचनाए दर्ज करने के लिए बटन दिये गये होते हैं इस पर जो बटन होते हैं उन्‍हें हम की (key) कहते है ।
इसका  अविष्कार किसने किया ?
क्रिस्टोफर लैथम शोलेज (Christopher Latham Sholes) एक अमेरिकी आविष्कारक जिन्होंने पहले व्यावहारिक टाइपराइटर और QWERTY कुंजीपटल का आविष्कार किया था जो आज भी प्रयोग में है। कीबोर्ड किस प्रकार की डिवाइस हैकीबोर्ड एक इनपुट डिवाइस (Input Device) है|

कीबोर्ड के प्रकार -  Types of Computer Keyboard
I. डिजायन के अनुसार
A.वायर्ड या तार वाले कीबोर्ड - 
वायर्ड या तार वाले कीबोर्ड कीबार्ड दो प्रकार के आते हैैं इसमें पहला है PS/2 कीबोर्ड और दूसरा है USB कीबोर्ड यह एक तार द्वारा कंप्‍यूटर से जोडें जाते हैं 
B. वायरलेस या बिना तार वाला कीबोर्ड -
  यह कीबोर्ड वायर्ड कीबोर्ड की तुलना में महगे हाेते हैं और इन्‍हें प्रयोग करने के लिये बैट्री या सेल का प्रयोग किया जाता है कंप्‍यूटर से कनेक्‍ट करने के लिये है इनके साथ एक USB रिसीवर आता जो एक रेडियो फ्रीक्वेंसी (Radio Frequency) Receiver होता है जो कीबोर्ड से प्राप्‍त सिंग्‍नल को कंप्‍यूटर तक भेजता है 


II.कार्य के अनुसार 

A.टाइपिंग कीबोर्ड - 
यह साधारण कीबोर्ड होता है जिससे टाइपिंग की जा सकती है

B. मल्टीमीडिया कीबोर्ड -  यह वह कीबोर्ड होते हैैं जिसमें टाइपिंग कीज के साथ-साथ मल्टीमीडिया कीज जैसे स्‍पेशल कीज अलग से दी गयी होती हैं जैसे वाल्‍यूम कीज, play pause forwar कुछ मल्टीमीडिया बोर्ड में मल्टीमीडिया कीज के साथ साथ इंटरनेट कीज भी दी गयी होती हैं जैसे होम बटन इत्‍यादि 



कीबोर्ड को QWERTY कीबोर्ड क्‍यों कहा जाता है ?


आधुनिक कीबोर्ड पुराने टाइप राइटर से लिया गया है अगर आप गौर से देखें तो कीबोर्ड के अक्षर QWERTY से शुरु होते हैं। जब क्रिस्टोफर लैथम शोलेज (Christopher Latham Sholes) ABCD क्रम वाले टाइप राइटर पर काम कर रहे थे उन्‍हाेंने एक खामी का पता चलाचूकिं टाइपराइटर में बटन एक धातु की छड के सहारे दबाये जाते हैं और जब बटनों सीधा क्रम में लगाया गया यानि ABCDEF फॉर्मेट में तो वह तो बटन जाम हो रहे थे और एक के बाद एक होने की वजह से दबाने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा था  जिसकी वजह से जल्दी टाइप करना नामुमकिन था और उस समय टाइपराइटर में बैकस्पेस का बटन नहीं था। यही वजह है कि आपके कीबोर्ड में QWERTY शब्दों का इस्तामाल किया गया ताकि टाइप करने में आसानी रहे।

कीबोर्ड की जानकारी - information about the keyboardकीबोर्ड में कितनी कीज होती है आजकल कीबोर्ड हर कोई अपने हिसाब से डिजायन कर रहा है लेकिन अगर देखा जाये तो एक साधारण कीबोर्ड में 101 कीज होती हैलेकिन स्‍पेशल कीज ने इनकी संंख्‍या को बढा दिया हैंं अधिेक 112 होती हैं |











कप्यूटर कीबोर्ड में कितने प्रकार की कीज” होती है ?
कंप्यूटर कीबोर्ड में निम्न प्रकार की कीज” होती है -
A. टाइपराइटर कीज - (Typewriters Key) 
B.फंक्शन कीज - (Function Keys)
C.कर्सर कंट्रोल कीज - (Cursor control keys)
D.मोडीफायर की - (Modifier key)
E. टॉगल की  - (Toggle keys)
F. स्‍पेशल कीज (Special Keys)



A.टाइपराइटर कीज:- Typewriters

ये की बोर्ड का मुख्‍य हिस्‍सा होता हैयह मुख्‍यत टाइपिंग सम्‍बन्‍धी कार्य को करने में काम आता हैइन्‍हीं की से हम किसी भी भाषा में टाइप कर सकते हैंइसके लिये सिर्फ हमको कम्‍प्‍यूटर में फान्‍ट बदलना होगाइसमें इनमें अक्षरविराम चिह्नऔर प्रतीक कीज भी शामिल हैंकी-बोर्ड की दाई  ओर न्यूमेरिक की-पैड होता है जिसमें कैलुक्यूलेटर के समान कीज होती है। इनसे से कुछ कीज दो काम करती हैं। न्यूमेरिक कीज के दोनो कार्यो को आपस में बदलने के लिए नम लोक की का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए-संख्या 7 युक्त कीहोम की के रूप में केवल तभी काम करती है। जब नम लोक की आफ होती है। जब नम लोक की आन होती है। तो 1,2,3,4,5,6,7,8,9,0 चिनिहत कीजन्यूमेरिक कीज के रूप में काम करती है। इनमें से किसी को भी दबाने पर स्क्रीन पर एक संख्या दिखाई देता है।

इसमें मुख्य रूप से तीन key आती है alphabetic keys, number keys, लॉजिक या स्पेशल करैक्टर की आते हैं
i. alphabetic keys :- A TO Z
ii. number keys :- 0 TO 9

iii. लॉजिक या स्पेशल करैक्टर की :-
कीबोर्ड के सभी सिंबल/स्‍पेशल कैरेक्‍टर के नाम हिंदी में - 
~ Tilde – टिल्डे
` Open Quote – ओपन कोट्स
! Exclamation mark – एक्‍सक्‍लेमेशन मार्क
@ at symbol – एट सिम्‍बल
# hash – हैश टैग
$ Dollar - डॉलर साइन
% Percent – परसेंट
^ Caret - कैरेट
& and symbol – एण्‍ड सिम्‍बल
* Asterisk – एक्‍टेरिस्‍क
( Open Round brackets. – ओपन राउंड ब्रेकेट
) Close Round brackets – क्‍लोज राउंड ब्रेकेट
- Hyphen, minus or dash – हाइफन – माइनस – डेश
_ Underscore – अंडरस्‍कोर
+ Plus – प्‍लस
= Equal – इक्‍वल
{ Open curly bracket – ओपन करली ब्रेकेट
} Close curly bracket – क्‍लोज करली ब्रेकेट
[ Open bracket. – ओपन बाक्‍स ब्रेकेट
] Closed bracket – क्‍लोज बाक्‍स ब्रेकेट
| Vertical bar – वर्टीकल बार
\ Backslash – बैक स्‍लैश
/ Forward slash- फारवर्ड स्‍लैश
: Colon – कॉलन
; Semicolon – सैमी कॉलन
" Double quote – डबल कोट
' Single quote – सिंगल कोट
< Less than – लैस दैन
> Greater than – ग्रेटर दैन
, Comma – कॉमा
. Full stop – फुल स्‍टॉप या डॉट
? Question mark – क्‍विश्‍चन मार्क





B. फंक्शन कीज :- Function Keys

टाइपराइटर की के सबसे ऊपरी भाग में एक लाइन में F1 से लेकर F12 संख्या तक रहती है। किसी भी साफ्टवेयर पर काम करते समय इनका प्रयोग उसी साफ्टवेयर में दी गयी सूची के अनुसार अलग अलग तरीके से किया जाता है


Use of F1 Function key in computer
किसी भी software का Help and Support center ओपन करने के लिये आप F1 का Use कर सकते हैं

Use of F2 Function key in computer

किसी भी file या folder पर माउस से क्लिक करों और F2 प्रेस करोऐसा करने से आप उस file या folder को Rename कर सकते हो 

Use of F3 Function key in computer

कंप्‍यूटर में या इंटरनेट पर किसी भी जगह से F3 Key प्रेेस करने से search आप्‍शन ओपन हो जाता है।

Use of F4 Function key in computer

इस Function key  को Alt के साथ प्रेस करने से खुला हुए कोई भी software बन्द हो जाता है अगर आप इसे डेस्‍कटॉप Alt+ F4 दबायेगें तो shutdown का आप्‍शन खुल जाता है। 

Use of F5 Function key in computer

इस Function key को प्रेेस करने से रनिंग विंंडो या एप्‍लीकेशन refresh की जा सकती है। browser refresh करने के लिये भी आप इस की का Use कर सकते हो 

Use of F6 Function key in computer

इस Function key को ब्राउजर में Use करने से cursor सीधा  address bar मे cursor bar ले जाया जा सकता है


Use of F7 Function key in computer
windows में इस की का कोई Use नहीं हैलेकिन वर्ड-एक्‍सल जैसी एप्‍लीकेशन में इसका इस्‍तेमाल होता है 

Use of F8 Function key in computer
Windows install करते समय इस की का प्रयोग किया जाता हैइससे आप बूट वगैरह

Use of F9 Function key in computer
इस key का windows मे तो कुछ प्रयोग नही हैलेकिन माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक में ईमेल भेजने के लिये इस्‍तेमाल किया जाता है 

Use of F10 Function key in computer
इससे किसी भी software के menu को ओपन करने के लिये किया जाता हैइसे प्रेस करने से menu सलेक्‍ट हो जाता है और आप ऐरो कीज की मदद से उसे खोल सकते हैंं 

Use of F11 Function key in computer
 browser और बहुत सी एप्‍लीकेशन को Full Screen Mode में चलाने के लिये इसका प्रयोग किया जाता हैै 

Use of F12 Function key in computer
माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में इस की को प्रेेस करने से Save as window ओपन होती है और Ctrl+F12 को एक साथ प्रेस करने से आप पहले से सेव फाइल को ओपन कर सकते हो | 

C.कर्सर कंट्रोल कीज :-  Cursor control keys
इन कीज से कम्‍प्‍यूटर के क्रर्सर को नियंत्रित किया जाता हैइससे आप कर्सर को अपडाउनलेफ्टराइट आसानी से ले जाया जा सकता हैयह की बोर्ड पर ऐरो के निशान से प्रर्दशित रहती है। इसको  नेविगेशन की  कहते  है 
की-बोर्ड पर ऐरो कीज के अलावा  कुछ और कर्सर कन्ट्रोल कीज भी मौजूद रहती है। 
ये इस प्रकार है-
एंटर  :- Enter keys - एंटर की को रिर्टन की भी कहा जाता है। इसका प्रयोग मुख्य रूप से दो कार्यो के लिए किया जाता है। पहला यह पीसी को सूचना देता है कि आपने निर्देश देने का काम छोड दिया है। अत: वहा दिए गए निर्देशों को प्रोसेस या एक्जीक्यूट करें। दूसरा माइक्रोसाफ्ट वर्ड प्रोग्राम का प्रयोग करते समय एन्टर की दबाने पर नया पैराग्राफ या पंकित शुरू हो जाती है।
टैब की :- Tab यह कर्सर को एक पूर्वनिर्धारित स्थान पर आगे ले जाती है। इसके द्वारा आप पैराग्राफ शुरू कर सकते है तथा कालमटैक्स्ट या संख्याओं को एक सीध में लिख सकते है। कुछ साफ्टवेयरों में यह मेन्यू में एक विकल्प से दूसरे विकल्प पर जाने में मदद करती है।
डिलीट की :- Delete - कर्सर की दार्इ ओर लिखे कैरेक्टर या स्पेस को आप इसको दबाकर मिटा सकते है।
बैकस्पेस की :- Back Space - इसे दबाकर आप कर्सर के बार्इ और लिखे अक्षर को मिटा सकते है। ऐसा करने पर कर्सर अन्त में टाइप किए गए अक्षर को मिटाने हुए बार्इ ओर लौटता है।
पेज अप कीज :- Page Up keys - इनका प्रयोग डाक्यूमेंट के पिछले पृष्ठ पर जाने के लिए किया जाता है।
पेज डाउन कीज:- Page Down keys - इनका प्रयोग अगले पृष्ठ पर जाने के लिए किया जाता है।
होम की:- Home Key - इसका प्रयोग कर्सर लाइन के शुरू में लाने के लिए होता है।
एंड की:- End Key - यह की कर्सर को लाइन के अंत में ले जाती




D. मोडीफायर की - Modifier key


इसमें मुख्य रूप से तीन key आती है


i शिफ्ट कीज :- Shift Keys 

ii.कंट्रोल कीज :- Ctrl  keys

iii. आल्ट कीज :- Alt keys


शिफ्ट कीज :- Shift Keys इसको दबाकर यदि आप कोई अक्षर की दबाए तो वह अपर केस अक्षर में ही टाइप होगी। यदि कैप्स लाक आन की सिथति में हो तो यह क्रिया  उलट जाएगी। जब एक की पर दो चिन्ह या कैरेक्टर बने हों तब शिप्ट की दबाने से ऊपरी चिन्ह स्क्रीन पर दिखाई  देगा।
कंट्रोल एंव आल्ट कीज :- Ctrl and Alt keys-  कंट्रोल एंव आल्ट कीज का प्रयोग अकसर कोई  विशेष काम करने के लिए अन्य की के साथ संयुक्त् रूप में किया जाता है। जैसे- कंट्रोल और सी को एक आप डोस प्राम्प्ट पर लौट आते है। 
कंट्रोल आल्ट और डिलीट कीज को एक साथ क्रमवार दबाने से मशीन स्वयं ही दोबारा शुरू हो जाती है।

E . टॉगल की  - Toggle keys

कंप्यूटर का वह कुंजी जिससे एक से अधिक फंक्शन को प्रयोग करते हैं उसको टॉगल कुंजी (की) कहते हैंजैसे कैप्स लॉक (CAPS LOCK), नम लॉक (Num Lock) , स्क्रॉल लॉक (Scroll Lock) और इन्सर्ट(Insert) कीज उदाहरण के लिए अगर कैप्स लॉक ऑन है तो जब आप टाइप करेंगे तो लेटर अपर केस में टाइप होता हैं और जब कैप्स लॉक ऑफ हो तो लोअर केस में

F. स्‍पेशल कीज (Special Keys)

टाइपिंग कीज के साथ-साथ कुछ अलग काम करने के लिये कीज दी गयी होती हैं इन्‍हें स्‍पेशल कीज कहते हैैं मल्टीमीडिया कीज जैसे स्‍पेशल कीज अलग से दी गयी होती हैं प्रिंट स्‍क्रीन कीजविंडोज कीज  
























अभी हम बात करते हैं - Pointing Input Device के बारे में :- 

ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस (GUI), जो बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किये जाते हैं, में स्क्रीन पर कर्सर की स्थिति बताने के लिए पॉइंटिंग डिवाइस की आवश्यकता होती हैं।
ज्यादातर पॉइंटिंग डिवाइस कंप्यूटर से यूएसबी (USB) पोर्ट के माध्यम से जुड़े होते हैं। 
पॉइंटिंग डिवाइस निम्न प्रकार हैं -Mouse, Trackball, Touch pad, Graphical Table, Joystick, Touch Screen Etc.

1.
माउस (Mouse) : 
माउस सबसे लोकप्रिय पॉइंटिंग डिवाइस हैं।
माउस User के एक हाथ के साथ कार्य करता हैं। 
पुराने माउस में एक रोलिंग बॉल होती थी, जो माउस के निचले भाग की सतह पर होती थी।

माऊस कम्प्यूटर के प्रयोग को सरल बनाता है यह एक तरीके से 

रिमोट डिवाइस होती है और साथ ही इनपुट डिवाइस होती है।



माउस के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी -

 Important information about the mouse जरा सोच कर देखिये कि अचानक आपके कम्‍प्‍यूटर का माउस खराब जाये तो आप कितने परेशान हो जायेगेंतुरंत बाजार जायेगेंऔर कम्‍प्‍यूटर की दुकान से अपनी पसंद का माउस खरीद लायगेंक्‍योंकि आज के समय में बिना माउस के कम्‍प्‍यूटर की कल्‍पना ही नहीं की जा सकती हैलेकिन क्‍या आप जानते हैं कि कम्‍प्‍यूटर के संचालन को बेहद सरल बनाने वाले इस यंञ की परिकल्‍पना आज से 54 वर्ष पहले की थीमाउस का आविष्कार किसने किया - Computer mouse Inventorमाउस का अविष्‍कार 1960 में डग एंजेलबर्ट के द्वारा किया गया था और आपको जानकार आश्‍चर्य होगा कि पहला माउस लकडी का बना हुआ थाजिसमें धातु के दो पहिये लगे हुए थे। यह उस समय की बात है जब कम्‍प्‍यूटर की प्रथम पीढी चल रही थी और कम्‍प्‍यूटर का आकार किसी कमरे के बराबर होता था।


माउस क्या है - What is Mouse

'माउसएक हार्डवेयर है और कंप्‍यूटर में इस्‍तेमाल होने वाला इनपुट डिवाइस हैइसे पॉइंटर डिवाइस (pointing device) माउस की सहायता से आप कंप्‍यूटर में दिखाई देने वाले तीर के आयकन जिसे कर्सर करते हैं को मूव कर सकते हैं तथा कंप्‍यूटर में दिखाई देेेेने वाले किसी भी बटन या मेेन्‍यू पर आसानी से क्लिक कर सकते हैंएक साधारण माउस में दो बटन होते हैं जिसे Left Click और Right Click के नाम से जाना जाता है इन बटनों के प्रयोग को जरूरत के हिसाब से एक दूसरे से बदला भी जा सकता है  माउस की आवश्यकता क्यों है पुराने समय के कंप्‍यूटर के ऑपरेटिंग सिस्‍टम हाेते थे वह CUI यानि Character User Interface पर आधारित होते थे जैसे MS DOC जिसमें केवल कीबोर्ड से ही काम चल जाया करता था लेकिन जब से ग्राफिकल यूज़र इन्टरफेस (GUI) पर आधारित ऑपरेटिंग सिस्‍टम जैसे विंडोज 95, विडोंज 98 अाने लगे तब से कीबोर्ड से काम करना मुश्किल हो गया और जरूरत पडी ऐसे उपकरण की जिसकी सहायता से स्‍क्रीन पर कहीं भी काम किया जा सकते हैं माउस किस प्रकार काम करता हैंMouse कंप्‍यूटर स्‍क्रीन को DPI या पिक्‍सल में बांट देता है अगर आप बाजार से माउस खरीद कर लायें तो उसके डब्‍बे पर उसकी DPI लिखी रहती है DPI की फुलफार्म है डॉट पर इंंचयानि एक वर्ग इंच में कुछ डॉट की संंख्‍याअब ये डीपीआई जितने ज्‍यादा होगें आप उनते ज्‍यादा बेहतर ग्राफिक्‍स तैयार कर पायेगें लेकिन साधारण काम के लिये कम DPI से भी काम चल जाता है 




माउस कितने प्रकार के होते है - 
Type Of Computer Mouse 

A.
मैकेनिकल माउस (Mechanical mouse) -


माउस का सबसे पुराना रूप है इस माउस में रबर बॅाल लगी होती थी और जब इसे पैड पर घुमाया जाता था तो यह रबर बॉल अंदर लगी चकरी का घुमाती थीजिससे सिग्‍लन कंप्यूटर को भेजे जाते थे लेकिन यह माउस ज्‍यादा सफल नहीं हुआ कारण था कि जो रबर बॉल भी वह अटक जाती थी और इतना अच्‍छा काम नहीं करती थी 

B.
ऑप्‍टो मैकेनिकल माउस (
Optomechanical Mouse)-

ऑप्‍टो मैकेनिकल माउस को मैकेनिकल माउस से बेहतर बनाया गया इसमें मैकेनिकल सेंसर के स्थान पर ऑप्टिकल सेंसर लगाया गयाऑप्‍टो मैकेनिकल माउस में LED (Light Emitting Diode) और फोटो डिटेक्टर मिलकर माउस द्वारा तय दुरी का अनुमान लगाकर ठीक प्रकार से काम करते थे लेकिन इस मॉडल में भी कुछ खामियां थी

C.
ऑप्टिकल माउस (Optical mouse
) -फाइनली आया एक अत्याधुनिक उपकरण ऑप्टिकल माउस (Optical mouse) जिसे वर्तमान में इस्‍तेमाल किया जा रहा हैइसमें LED (Light Emitting Diode) का प्रयोग माउस द्वारा तय की गई दुरी को डिटेक्ट करने के लिय किया जाता है इसमें कोई घुमने वाला पुर्जा नही होता 

D.
वायरलेस माउस (Wireless mouse) -वायरलैस माउस भी एक ऑप्टिकल माउस (Optical mouse) ही है लेकिन इसमें तार नहीं होता है बल्कि माउस को पावर देने के लिये एक बैटरी होती है और कंप्‍यूटर मेें एक Radio frequency (RF) रिसीवर लगाया जाता है


आजकल ऑप्टिकल माउस का प्रचलन हैं, जिसमे रोलिंग बॉल नहीं होती हैं। 
वर्तमान माउस में रोलिंग बॉल की जगह एक प्रकाश और छोटे सेंसर का उपयोग किया जाता हैं। जो मेज की सतह के छोटे से भाग से माउस की मूवमेंट का पता लगाने में इस्तेमाल किया जाता हैं। 
वर्तमान माउस तार रहित (Wireless) होते हैं, जो रेडियो तरंगो के माध्यम से कंप्यूटर के साथ संचार बनाये रखते हैं। 
माउस में एक स्क्रॉल व्हील (Scroll Wheel) भी होती हैं जो GUI के सतह काम करने में बहुत सहायक हैं। 
पारंपरिक PC (Traditional PC) माउस में दो बटन होते हैं, जबकि मैकिनटोश (Macintosh) माउस में एक ही बटन होता हैं।


2. टच-पैड (Touch Pad) :
वर्तमान में लेपटॉप कम्प्यूटर्स में इसका इस्तेमाल होता हैं। इसकी सतह पर ऊँगली से हम पॉइंटर को गति दे सकते हैं। और इसमें माउस की अपेक्षा कम जगह की आवश्यकता होती हैं।

3. ट्रैक पॉइंट (Track Point) : यह एक छोटे जॉयस्टिक की तरह कार्य करता हैं। इसका इस्तेमाल कर्सर की स्थिति बदलने के लिए करते हैं।


4. ट्रैकबॉल (TrackBall) : यह माउस की तरह होता हैं। इसमें एक बॉल का इस्तेमाल किया जाता हैं।

5. जॉयस्टिक्स (Joystick) :  यह भी एक पॉइंटिंग डिवाइस होती हैं इसका इस्तेमाल गेम्स खेलने में किया जाता हैं।

6. ग्राफ़िक्स टेबलेट (Graphics Tablet) : यह एक टैबलेट के समान दिखाई देती हैं पर इसका उपयोग चित्र बनाने में किया जाता हैं। इस टेबल पर एक विशेष प्रकार के पेन का इस्तेमाल होता हैं।


2. स्कैनर (Scanner) : लेजर तकनीक द्वारा किसी भी दस्तावेजफोटो आदि को परिवर्तित करके डिजिटल बना देता हैं ताकि दस्तावेज आदि का इस्तेमाल लम्बे समय तक हो सके।
3. मिडी (MIDI) : इसका पूरा नाम Musical Instrument Digital Interface होता हैं। यह एक प्रणाली हैं जो संगीत यंत्रो के बीच डेटा को प्रसार करने में काम आती हैं।
4. मैग्नेटिक इंक करैक्टर रिकोग्निशन (Magnetic Ink Character Recognition) : MICR एक करैक्टर पहचानने की तकनीक हैं। इसका उपयोग मुख्य रूप से बैंकिंग उद्योग में चेक  अन्य दस्तावेजों की क्लीयरिंग करने के लिए होता हैं।

5. ऑप्टिकल मार्क रीडर (OMR) : इसका पूरा नाम - Optical Mark Reader होता हैं। यह एक विशेष प्रकार का स्कैनर होता हैं। इसका इस्तेमाल परीक्षाओ में उत्तर पुस्तिका और OMR Sheet पर बने पेन और पेंसिल के निशानों को पहचान करने में होता हैं। आजकल इसका उपयोग चुनावों और सर्वे में भी होता हैं।

6. ऑप्टिकल करैक्टर रिकग्निशन (OCR) : इसका पूरा नाम Optical Character Recognition होता हैं। इसका उपयोग व्यापक रूप से स्वचालित डाटा एंट्री के लिए किया जाता हैं।
7. बार कोड रीडर (Bar Code Reader) : [BCR] एक होता हैं बार कोड और उस कोड को रीड करने वाला बार कोड रीडर होता हैं। किसी प्रोडक्ट की पहचान के लिए उस प्रोडक्ट पर एक कोड दिया होता हैं। जैसा की आप नीचे इमेज में देख सकते हो इस कोड को रीड करने के लिए बार कोड रीडर का इस्तेमाल होता हैं।


8. स्पीच रिकग्निशन डिवाइस (Speech Recognition Device) : इसके द्वारा कंप्यूटर में ऑडियो इनपुट करवाया जाता हैं जिसके लिए माइक्रोफोन की जरूरत पड़ती हैं।


9. वेबकैम (Webcam) : यह कंप्यूटर से जुड़ा कैमरा होता हैं। जिसके द्वारा हम फोटो और वीडियोस कैप्चर कर सकते हैं।




चलिए हम कुछ आउटपुट डिवाइस के बारे में बात करते हैं -
ऑउटपुट डिवाइस कंप्यूटर में पड़े डेटा को इस रूप में प्रदर्शित करता है ताकि यूजर को आसानी से समझ में जाये। उदाहरण - Monitor, Printer, Plotter, Speaker etc.
1. मॉनिटर (Monitor) :- मॉनिटर आउटपुट की सॉफ्ट कॉपी स्क्रीन पर दिखाता है जिससे उपयोगकर्ता आसानी से देख सकता है और समझ सकता है और पढ़ भी सकता है।
आमतौर पर मॉनिटर को दो भागों में बांटा गया है
A. CRT Monitor 
B. Flat Panel Monitor 


A. CRT Monitor : यह टीवी के समान होते हैं इनमें एक बड़ी कैथोड रे ट्यूब लगी होती है।  मॉनिटर का रेजोल्यूशन पिक्सेल में मापा जाता है। पिक्सेल बहुत ही छोटे डॉट्स से बने होते हैं जिन्हें मिलाकर एक पिक्चर बनती है पिक्सेल के बीच की जगह को डॉट पिच कहा जाता है मॉनिटर पर जितने अधिक पिक्सेल होंगे उतनी ही अच्छी पिक्चर की क्वालिटी होगी।


B. Flat Panel Monitor : इसके अंदर दो प्रकार के मॉनिटर होते हैं-
 
एक LCD और LED. LCD की Full Form- लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (Liquid Crystal Display) और LED की Full Form- लाइट एमिटिंग डायोड (Light Emitting Diode) होती है। और यह मॉनिटर CRT मॉनिटर की तुलना में बहुत ही हल्के होते हैं और इन की पिक्चर क्वालिटी भी अच्छी होती है इन मॉनिटर में थिन फिल्म ट्रांजिस्टर Thin Film Transistor (TFT) का उपयोग किया जाता है।




2. प्रिंटर (Printer) : किसी डिजिटल दस्तावेज को कागज पर प्रिंट करना हो तो प्रिंटर का उपयोग लिया जाता है प्रिंटर हार्ड कॉपी प्रदान करती हैं और यह एक आउटपुट डिवाइस होती है प्रिंटर की आउटपुट गुणवत्ता को डीपीआई (Dots Per Inch) में मापा जाता है।
प्रिंटर को मोटे तौर पर दो भागों में वर्गीकृत किया गया है -
A.
इंपैक्ट प्रिंटर 
B.
नॉन इंपैक्ट प्रिंटर

A. इंपैक्ट प्रिंटरइसके अंदर कैरेक्टर प्रिंटर और लाइन प्रिंटर मुख्य प्रिंटर होते हैं।
 कैरेक्टर प्रिंटर - करेक्टर प्रिंटर के सबसे लोकप्रिय उदाहरण डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर और डेजी व्हील प्रिंटर हैं। डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर के हेड में छोटे-छोटे सक्रिय पिन होते हैं और एक रिबन लगा होता है जिसके सहारे यह इमेज प्रिंट करते हैं। यह प्रिंटर बहुत ही धीमी और बहुत ही शोर करने वाले होते हैं इनका उपयोग आमतौर पर बड़े-बड़े व्यवसाय और व्यापारिक कामकाज में किया जाता है।
 लाइन प्रिंटर - लाइन प्रिंटर एक समय में पूरी एक लाइन प्रिंट कर सकते हैं लाइन प्रिंटर के अंदर चैन प्रिंटर और ड्रम प्रिंटर मुख्य हैं। इन प्रिंटर के अंदर भी रिबन का उपयोग किया जाता है। 200 से 2000 लाइन प्रति मिनट इनकी क्षमता होती है।


B. नॉन इंपैक्ट प्रिंटरयह बिना आवाज किए कार्य करते हैं अर्थात इनकी आवाज होती है वह बहुत ही धीमी होती है। इनके अंदर इंक-जेट प्रिंटर,लेजर प्रिंटर, थर्मल प्रिंटर मुख्य हैं।
 इंक-जेट प्रिंटरयह प्रिंटर किसी इमेज को बनाने या प्रिंट करने में छोटी छोटी बूंदों का छिड़काव करते हैं। और इन प्रिंटर के द्वारा रंगीन चित्र बनाने के लिए भिन्न-भिन्न रंगो की आवश्यकता होती है। यह प्रिंटर सस्ते होते हैं, लेकिन अगर हम इनका लंबे समय तक यूज करें तो इनके अंदर उपयोग होने वाले कार्टेज के कारन ये महंगे पड़ते हैं।

 लेजर प्रिंटरइनका इस्तेमाल कार्यालय और व्यवसायिक तौर पर किया जाता है ज्यादातर लेजर प्रिंटर मोनोक्रोम अर्थात काला रंग प्रिंट करने वाली होते हैं। परंतु यह बहुत महंगें होते हैं, क्योंकि इनके अंदर भिन्न-भिन्न रंग का यूज किया जाता है और यह प्रिंटर इंकजेट प्रिंटर की अपेक्षा अधिक तेज होते हैं। इन प्रिंटरों की गति PPM (पेज प्रति मिनट) में मापी जाती हैं।

 थर्मल प्रिंटरयह प्रिंटर पेपर पर प्रिंट करने में गरम तत्वों का उपयोग करते हैं। इनका इस्तेमाल एटीएम मशीन में रसीद प्रिंट के लिए किया जाता है। और इनके अंदर हिट संवेदनशील कागज (Heat Sensitive Paper) का यूज किया जाता है। इन प्रिंटरों की लागत अधिक होती है।

2. प्लॉटर (Plotter) :- प्लॉटर का उपयोग इंजीनियरिंग के अंदर किया जाता है। जैसे बिल्डिंग प्लान करनासर्किट डायग्राम बनाने का कार्य प्लॉटर द्वारा किया जाता है।

3. स्पीकर (Speaker) :- यह एक आउटपुट डिवाइस होती है। और यह कंप्यूटर का हिस्सा है। स्पीकर ध्वनि का निर्माण करते हैं और ऑडियो आउटपुट प्रदान करते हैं।

4. मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर (Multimedia Projector) :- सामूहिक रूप से किसी को जानकारी देने के लिए यह डिवाइस बहूत ही मददगार साबित होती है जैसेमीटिंग, कॉन्फ्रेंस आदि के अंदर प्रेजेंटेशन देने के लिए इस डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है।


कुछ डिवाइस ऐसी होती हैं जो इनपुट और आउटपुट दोनों रूप में कार्य करती हैं। तो चलिए इनके बारे में भी हम पढ़ लेते हैं -

1.
फैक्स मशीन (Fax Machine) : इसका इस्तेमाल आज से कुछ टाइम पहले किया जाता था।पर वर्तमान में इसका इस्तेमाल बंद हो चुका है। यह डिवाइस किसी कागज को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजती थी जैसे कि इस डिवाइस के अंदर कोई डॉक्यूमेंट डाला जाता था तो यह डिवाइस किसी दूसरे स्थान पर पड़ी हुई फैक्स मशीन के अंदर उस दस्तावेज को प्रिंट कर देती थी तो यह आउटपुट और इनपुट का दोनों का कार्य करती थी।

2. मल्टीफंक्शन उपकरण (MFD Device) : यह उपकरण 2 डिवाइसों को मिलाकर बनाए जाते हैं। जैसे कि आप फोटो में देख सकते हो यह जो मशीन है इसके अंदर तीन कार्य आप एक साथ कर सकते हो जैसे - फोटोकॉपी निकालना, प्रिंट करना और स्कैन करना तो यह होती है मल्टी फंक्शन उपकरण।

MFD Device









3. मॉडेम (Modem) : टेलीफोन लाइन से इंटरनेट की सुविधा प्राप्त करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह डिजिटल सिग्नल को एनालॉग और एनालॉग सिगनल को डिजिटल में परिवर्तित करता है।

इसके अलावा टच स्क्रीन डिस्प्ले, डिजिटल कैमरा आदि इनपुट और आउटपुट डिवाइस के उदाहरण होते हैं।
 कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory)- 
कंप्यूटर मेमोरी डेटा और इंफॉर्मेशन स्टोर करने के काम आती है।

कंप्यूटर मेमोरी तीन प्रकार की होती हैं। 
1.
कैश मेमोरी
2.
प्राइमरी मेमोरी /मुख्य मेमोरी
3.
सेकेंडरी मेमोरी

1.
कैश मेमोरी (Cache Memory) :  कैश मेमोरी बहुत ही उच्च गति अर्द्ध कंडक्टर मेमोरी होती है जो कि मुख्य मेमोरी की स्पीड बढ़ा देती है। और किसी भी काम को करने में कैश मेमोरी मुख्य मेमोरी की तुलना में कम समय का उपयोग करती है। यह अस्थाई रूप से डाटा को संग्रहित करती है। कैश मेमोरी का मुख्य लाभ यह है कि यह मुख्य मेमोरी से तेज होती है।

कैश मेमोरी की कुछ सीमाएं -
सीमित  क्षमता
बहुत ही महंगी

2.
प्राइमरी मेमोरी /मुख्य मेमोरी (Main Memory) : प्राइमरी मेमोरी कंप्यूटर में वर्तमान में जो काम होता है उसे स्टोर करके रखती है। और जब बिजली बंद होती है तो इसमें रखा डाटा खो जाता है। यह मेमोरी अर्धचालक उपकरणों से मिलके बनी होती है जैसे सिलीकॉन आधारित ट्रांजिस्टर  

 
रैम और रोम मुख्य मेमोरी के दो उदाहरण हैं। रैम वोलेटाइल मेमोरी अर्थात परिवर्तनशील और रोम नॉन वोलेटाइल अर्थात अपरिवर्तनशील मेमोरी होती हैं।

मुख्य मेमोरी की विशेषताएं -
यह मेमोरी वर्तमान में कंप्यूटर में हो रहे कार्य स्टोर करती है।
 
कंप्यूटर प्राइमरी मेमोरी के बिना नहीं चलता।

 रैम (RAM- Random Access Memory) : [रैम वोलेटाइल मेमोरी अर्थात परिवर्तनशील मेमोरी होती हैं। रेंडम एक्सेस मेमोरी अर्थात RAM कंप्यूटर में किसी डाटा को पढ़ने और लिखने का कार्य इस मेमोरी के द्वारा किया जाता है।

 
रैम को भी दो भागों में बांटा गया है -
 
डायनामिक रैम (DRAM)
 
स्टैटिक  रैम (SRAM)

रोम (ROM- Read Only Memory) : यह मेमोरी नॉन वोलेटाइल अर्थात अपरिवर्तनशील होती है। और बिजली चले जाने के बाद भी इसके अंदर डाटा स्थाई रहता है।
इस मेमोरी के अंदर एक बार डाटा फीड करने के बाद उस डाटा को बदला नहीं जा सकता।

RAM 
के निम्न प्रकार होते हैं
PROM-  Programmable Read-Only Memory
EPROM- Erasable Programmable Read-Only Memory
EEPROM- Electrically Erasable Programmable Read-Only Memory

3.
सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) : सेकेंडरी मेमोरी एक्सटर्नल रूप में कार्य करती है। यह मेमोरी नॉन्वोलेटाइल मेमोरी के रूप में जानी जाती है। और यह मुख्य मेमोरी की तुलना में धीमी होती है।
इसका उपयोग स्थाई रूप से और लंबे समय तक डाटा या इंफॉर्मेशन को स्टोर करने के लिए किया जाता है। 

सेकेंडरी मेमोरी की कुछ विशेषताएं -
यह ऑप्टिकल और मैग्नेटिक मेमोरी होती है।
इसका उपयोग बैकअप मेमोरी के रूप में लिया जाता है।
बिजली बंद होने के बाद भी यह डाटा को स्थाई रूप से स्टोर रखती है।
प्राइमरी मेमोरी की तुलना में धीमी होती है।
बड़े और भारी भरकम डाटा को कम लागत में यह मेमोरी लंबे समय तक रख सकती है।
 
जैसेहार्ड डिस्क (HDD)

हार्ड डिस्क (HDD) : इसका पूरा नाम हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive) होता है। और यह आमतौर पर कंप्यूटर के डाटा को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए उपयोग में ली जाती है। इसके अंदर चुंबकीय प्लेट्स होती हैं जिनके ऊपर डाटा संग्रहित किया जाता है।
Hard Disk Drive
की अलग-अलग क्षमता होती है जैसे कि 250GB, 500GB, 1TB आदि। इस प्रकार से बहुत सारी HDD मार्केट में उपलब्ध है।

ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disk) : यह एक वृत्ताकार थाली के समान दिखने वाली होती है। इनकी भी अलग अलग भंडारण क्षमता होती है।
सबसे लोकप्रिय ऑप्टिकल डिस्कसीडी-आर (CD-R/WORM),  सीडी-आरडब्ल्यू (CD-RW), डीवीडी (DVD), ब्लू रे डिस्क काफी पॉपुलर है।

CD-R / WORM Disk- 
CD-R- Compact Disk Recordable
WORM- Write Once Read Many
अर्थात - एक बार इसमें डेटा फीड किया जाता हैं, और उसे बार-बार पढ़ा जाता हैं।

CD-RW-
CD-RW- Compact Disk-Read Write
इसमें फीड किया डेटा हम बार-बार मिटा सकते हैं और उसे दोबारा भी फीड कर सकते हैं।

DVD-
DVD- Digital Video/Versatile Disc
यह दिखने में CD जैसी होती हैं परन्तु इसकी भंडारण क्षमता ज्यादा होती हैं। जैसे - 4.7 GB, 8.5 GB आदि।
डीवीडी को "एकल परत डिस्क" और "डबल परत डिस्क" के रूप में वर्गीकृत किया जाता हैं।

Blu-Ray Disk -
यह डीवीडी की आने वाली पीढ़ी हैं। ब्लू रे डिस्क डेटा स्टोर करने में लेजर बीम का उपयोग करती हैं। इसकी  भंडारण क्षमता 25GB से 50GB होती हैं।

पेन ड्राइव (Pen Drive)/Flash Memory - 
यह एक छोटा सा पोर्टेबल डिवाइस होता हैं। इसका उपयोग भी डाटा स्टोर करने में होता हैं। यह हमेशा कंप्यूटर से जुड़ा नहीं रहता। यह USB पोर्ट (Universal Serial Bus) के माद्यम से कंप्यूटर से जुड़ता हैं। इसे आसानी से कंप्यूटर से अलग किया जा सकता हैं।

स्मार्ट मिडिया कार्ड (Smart Media Card) -
डिजिटल कैमरा में इस्तेमाल में सबसे लोकप्रिय हैं। यह एक पोर्टेबल क्रेडिट कार्ड की तरह होता हैं।

सुरक्षित डिजिटल कार्ड (Secure Digital Card- SD Card) -
यह मल्टीमीडिया कार्ड की दूसरी पीढ़ी हैं। इसमें डेटा को लॉक और सुरक्षित रखने की क्षमता हैं।

ये दो प्रकार के होता हैं -
MiniSD Card
MicroSD Card